बैंक एफडी के नूकसान (2023) | Top FD Ke nuksaan

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एफडी के नूकसान: दोस्तों बैंक में एफडी करना यानि की अपने बचत को फिक्स डिपॉज़िट करना लोगो के लिए अबतक का सबसे अच्छा और सुरक्षित तरीका माना जाता है। एफ डी में निवेश करने का लोगो का सबसे बड़ा उद्देश्य यही है की कम एफडी नुकसान और और निश्चित रिटर्न।

 

भारत में एफ डी को एक पारंपारिक तरीकेसे देखा गया है क्युकी फिक्स डिपाजिट का बाजार में होने वाले नुकसान और फायदे का उतना असर नहीं होता है।

 

शेयर बाजार से एफ डी में उतने जलत गति से रिटर्न तो नहीं मिलता मगर शेयर बाजार और किसी भी निवेश में सबसे सुरक्षित माना जाता है क्युकी एफ डी हमें बैंक की और से पूर्ण सुरक्षतीता मिलती है।

 

मगर एफडी में फायदे के साथ साथ हमें ऐसे भी नुकसानों को झेलना पड़ता है जो की हमें बैंक बताती नहीं है, और जब बैंक पर खतरा होता है तब हमारे एफडी पर भी इसका असर होता है।

 

एफडी में ऐसे ही जोखिम भरे नुकसान देखने मिलते है जिसे हमें एफडी में निवेश करते वक़्त ज़रूर ध्यान देना चाहिए। तो चलिए दोस्तों देखते है एफ डी के नुकसान और उससे कैसे बच सकते है। 

 

 

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एफडी क्या है?

 

एफ डी यानि फिक्स डिपॉज़िट बैंको और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा दिया जाने वाला एक वित्तीय साधन है जहा हम एक विशिष्ट प्रकार के जमा खाते में एक निश्चित अवधि, कालावधि के लिए हमारी बचत को जमा रखते है, और बदले में बैंक या वित्तीय संस्थाने जमाकर्ता को अपनी जमा राशि पर ब्याज एक निश्चित कालावधि पर देती है।

 

फिक्स्ड डिपॉजिट एक लोकप्रिय निवेश विकल्प है क्योंकि यह साधारण जमा खाते या बचत खाते के मुकाबले अधीत ब्याज दर की प्राप्ति देता है और बाकि निवेश के मुकबले (शेयर बाज़ार, क्रिप्टो ट्रेडिंग) ज्यादा सुरक्षितता प्रादान कराती है।

 

 

 

फिक्स डिपाजिट की प्रमुख विशेषताएं 

 

 

  1. एफ डी में जमा खाता खोलने के लिए हमें सिर्फ एक आवेदन पत्र भरना होता है और साथ ही आवश्यक KYC करनी होती है, इसके अलावा हमें कुछ करने की ज़रूरत नहीं होती।
  2. एफडी की खास बात यही की हमारी अवधि-कालावधि के अनुसार हमारे जमा की रकम तय की जाती है, और तय की गई ब्याज दर अवधि समाप्त होने तक नहीं बदलती। लंबी अवधि के जमा के लिए ब्याज दर अधिक हो सकता है।
  3. एफडी ब्याज दरें एफडी खाता धारक की उम्र, निवेश की गई राशि और अवधि पर निर्भर करती हैं उदाहरण के लिए, वरिष्ठ नागरिक अपने एफडी पर कम उम्र वाले के तुलना में ज्यादा ब्याज प्राप्त करते है।
  4. एफडी के दो प्रकार आते है Cumulative and Non-cumulative, Cumulative में ब्याज का भुगतान सालाना चक्र के अनुसार किया जाता है वही Non-cumulative में ब्याज का भुगतान हमारी आवश्यकताओं के आधार पर मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या सालाना किया जाता है।
  5. एफडी में निवेश का कोई सुनिश्चित काल नहीं होता बल्कि एफ डी में हम 7 दिनों से लेकर 10 साल तक  पैसे जमा रख सकते है।

 

 

 

एफ डी के नुकसान  

 

एफडी में पैसे निवेश करने पर कुछ संभावित नुकसान हमें देखने मिलते है जो ज्यादा जोखिम भरे तो नहीं होते मगर इन बातो से आपको लंबे समय तक निवेश करने में परेशानी आ सकती है।

 

 

लॉक इन अवधि

 

फिक्स डिपाजिट में हमें एक निश्चित कार्यकाल के लिए पैसो को जमा करना पड़ता है यह अवधी ७ दिनों से लेकर १० साल तक हो सकती है।

 

इस कार्य काल से पहले हम हमारी राशि साधारण तरीके से निकाल नहीं सकते, कार्यकाल से पहले राशि को निकलने पर हमें कुछ जुरमाना देना पड़ता है, यह जुरमाना आपके ब्याज आय पर निर्भर होता है।

 

 

निश्चित ब्याज दर

 

एक निश्चित कार्यकाल के लिए जमा की गई फिक्स डिपाजिट राशि पर हमें निश्चित ब्याज दर लागु होता है, यह ब्याज दर सम्पूर्ण कालावधि के लिए एक जैसा होता है।

 

इस दौरान बैंक-वित्तीय संस्थाने अपने ब्याज दरों की समीक्षा करती है अपने ब्याज दरों को बढाती है तभ भी हमें निश्चित किये गए दरों पर ही ब्याज दिया जाता है, भविष्य हम इस तरह के सुविधा का लाभ नहीं उठा सकते।

 

 

दुबरा निवेश पर कम ब्याज

 

फिक्स डिपाजिट का कार्यकाल पूरा होने पर अगर आपको दुबारा एफडी में पैसे निवेश करना है तब आपको पुराने निश्चत किये गए दर पर ही ब्याज मिलेगा, इसमें नए से ब्याज की दरें निश्चित नहीं की जाएंगी।

 

इससे आपके भविष्य में किये गए लक्षो पर नुकसान हो सकता है।

 

 

इन्फ्लेशन रिस्क | एफडी के नुकसान 

 

लंबे समय के लिए फिक्स डिपाजिट करना यानि अपने पैसो की मूल्य कम करना होता है, क्युकी फिक्स डिपाजिट में हमें एक निश्चित ब्याज दर मिलता है, मगर हमें निवेश की हुए राशि वैसी स्थिर रहती है।

 

और १ साल या ५ साल में महंगाई भी २ या ३ प्रतिशत बढ़ जाती है, उदारहण के तौर अगर हम पहले साल 5000 की कोई वास्तु लेते है तो वही वस्तु एक साल या पांच साल में 6000 से लेकर 7000 के ऊपर जाती है इस वजह से महंगाई के कारन हमारी निवेश की गई रकम में गिरावट आती है।

 

 

सीमित विविधीकरण

 

एफडी (फिक्स डिपाजिट) यह एक तरह के एकल निवेश विकल्प है, क्युकी इस तरह के विकल्प में हमें विविधता देखने नहीं मिलती है यह शेयर मार्केट, म्यूच्यूअल फंड से काफी सिमित होता है।

 

 

 

भारत के टॉप बैंक्स की एफडी 2023 

 

भारत ऐसे बहोत से बैंक और वित्तीय संस्थाने है जोकि एफडी (फिक्स डिपाजिट) पर अच्छी विकल्पों की पेशकश करते है।

 

कही सारे बैंक फिक्स डिपाजिट में अलग अलग सिवधा प्रधान करते है जैसी की Nomination facility, competitive rate of interest, joint account, Loan/overdraft facility, और भी कही।

 

ऐसे ही भारत के कुछ महत्वपूर्ण बैंक्स और उनके फिक्स डिपाजिट ब्याज दर के बारे में जानते है।

 

 

 

टॉप बैंक्स एफडी के ब्याज दर और कार्यकाल 

 

 

बैंक   1 साल से कम  १ से ३ साल  ३ से ५ साल 
Yes Bank  3.25%-5.75% 7.00% 6.75%-7.00%
KVB Bank FD  4.00%-6.00% 6.50%-7.25% 5.90%-6.25%
CitiBank  1.85%-6.75% 3.50%-6.75% 3.50%
Punjab And Sind Bank  2.80%-5.00% 6.10%-6.25% 6.10%
Axis Bank  3.50%-6.00% 6.75%-7.00% 7.00%
HDFC Bank  3.00%-5.50% 6.10%-6.50-% 6.25%-6.50%
Canara Bank  3.25%-6.75% 6.80% 6.50%
Punjab National Bank  3.50%-6.30% 6.25%-6.30% 6.50%

Source:bankbazar.com

 

 

 

समापन

 

कुल मिलकर फिक्स डिपाजिट के नुकसान यह जाड़े जोखिम भरे तो नहीं मगर इनके कुछ ऐसे नुकसान है जिसका असर हमें तुरंत तो नहीं मगर भविष्य ज़रूर दिखाई देगा।

 

फिक्स डिपाजिट उन लोगो के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है जो एक पूर्वानुमानित रिटर्न के साथ एक सुरक्षित और सुरक्षित निवेश चाहते हैं।

 

तो दोस्तों एफडी से जुड़े कुछ जोखिम भरे नुकसान के बारे में हमने आपको बताया जिसका आपको निवेश करते वक़्त ध्यान रखना चाहिए।

 

एफडी के नुकसान से जुड़े आपके कोई सवाल या सुझाव होतो कमेंट करके ज़रूर बताना धन्यवाद।

 

 

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